वो... सफ़र सुहाना ! जब भी जाना जैसे भी जाना तबसे मैने तुझे अपना माना बातों मुलाकातों से फ़िर दोस्त बनाना भाया बहुत मुझे अपने सीनियर संग आना ज्यों त्यों हुआ फिर मिलने का फसाना बढ़ता चला गया ये अफसाना पहली दफा तेरा घर पर आना फिर यूँही आते जाते रह जाना कभी कॉलेज कभी कंदी घूम आना कभी कैंटीन में चटर-पटर और खाना संग रोना कभी हँसना गाना और उन मीठे पल को साथ बिताना फ़िर से आज लबों पर आया बीते पल का वो राग अलापना कभी पकौड़े कभी पराठे बनाना और तेरा खट्टे-मीठे पकवान लाना कभी होली,कभी दिवाली कभी चाय कॉफी और बिरयानी पर जाना वर्षों बीते पर याद न हुआ पुराना ओर धीरे धीरे इनका प्रगाढ़ बन जाना संग जो भी था वो था बड़ा सुहाना बड़ा अनोखा रहा हमारा साथ आना और आज फिर से तेरा जन्मदिन आ जाना मुझे फिर दिखाए उन गालियों का ठिकाना मिलते थे अक्सर जहाँ ये दो याराना मिलकर मनाया जहाँ अपना दोस्ताना..! ©Deepali Singh वो...सफ़र सुहाना happy Birthday dear..!