White दिये की लौ सी जलती जा रही हूँ. अँधेरे में ही ढलती जा रही हूँ. न जाने रास्ता कब खत्म होगा, थके कदमों से चलती जा रही हूँ. मुझे मंज़िल की चाहत भी नहीं है, मगर गिरती संभलती जा रही हूँ. वो कहता है तुम्हारे सामने हूँ, मैं इन आँखों को मलती जा रही हूँ. किसी को दोष देकर क्या करूँगी. चलो मेरी है गलती, जा रही हूँ! ©shraddha singh #Emotion