#5Lines Poetry इतनी काली विरासत मिली मेरे भीतर का दीपक था कि जलता रहा क्या चला ललित जो लाखों वही रुक गए राहे बदली की जीवन का अर्थ ही बदल गया मेरे बचपन के नाज़ुक कदम जहां मुड़े बस मुझे रास्ते मिलते चले!!!! ©Lalit Saxena #Smile