जो लोग छूट गए हैं उन्हें क्या बोलूं मैं, मेरे माँ-बाप हैं उन्हें क्या बोलूं मैं, मन उन्हीं के पास है, शरीर जा रहा है, तकलीफ तो बोहोत है, जिये फिर भी जा रहा हूँ मैं, सूनापन है जिंदगी में, फिर भु हंस रहा हूँ मैं, ऐसी ही है जिन्दगी, फिर भी जिए जा रहा हूँ मैं, ऐसी ही है जिन्दगी