Nojoto: Largest Storytelling Platform

न जाने क्यों बेगानी लगने लगी हैँ हवाएं औऱ

न जाने  क्यों  बेगानी  लगने  लगी हैँ   हवाएं  औऱ  फ़िज़ाये    इस  शहर    की  पीड़ित    सन्धया  को  
जबसे  तुम्हारी  कमी    का  दर्द    मैने     महसूस  किया हैँ 
जबसे  मेरी  सांसो  ने  तुम्हारे सानिध्य   कि  महक  को   खोया  हैँ 
तसल्ली  बक्श  रही  हैँ    मेरी  धडकने  . क़ि   
  लौट  आओगे  तुम  इस  शहर    मे औऱ    आबाद   करोगे  इस  
सूनी  शाम  को......फिर  से .... मेरे   शहर  की  सूनी  शाम
न जाने  क्यों  बेगानी  लगने  लगी हैँ   हवाएं  औऱ  फ़िज़ाये    इस  शहर    की  पीड़ित    सन्धया  को  
जबसे  तुम्हारी  कमी    का  दर्द    मैने     महसूस  किया हैँ 
जबसे  मेरी  सांसो  ने  तुम्हारे सानिध्य   कि  महक  को   खोया  हैँ 
तसल्ली  बक्श  रही  हैँ    मेरी  धडकने  . क़ि   
  लौट  आओगे  तुम  इस  शहर    मे औऱ    आबाद   करोगे  इस  
सूनी  शाम  को......फिर  से .... मेरे   शहर  की  सूनी  शाम

मेरे शहर की सूनी शाम