शोर और ख़ामोशी बेहतर होगा कि मैं खामोश रहूं कौन सुनेगा दिल की किस को दिल की बात कहूं घुट जातें हैं शोर जिगर के जिगर में बहते हैं रग रग में बनके लहू अरमानों की दुनिया लूट गई किस किस से मैं शिकायत करुं हमदर्द बहुत हैं फिर भी हारें है ले कर दर्द अपना चलता चलूं नागेश्वर #शोर,, खामोशी की,