मेरे संग जो चला है करवां ये अब रुक ना पायेगा तुम पर जो गीत गाये हम कोई अब गा ना पायेगा दुआओं मे जमाने की यहाँ हर दिन जीया हूँ मै तू कर ले साजिशे कितनी मेरा कुछ हो ना पायेगा ॥ कवि समीर शान्डिल्य ॥ 9455568837