*** कविता *** *** सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई *** " मैं करता रहा इश्क सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई , वे अंजामे का इश्क का दौड़ था , वेनतिजन मुलाकाते तो हुई सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई , बेताब वो भी कुछ इस कदर , मिलने आते रहे बे अंजाम सा , देखने का बहाना सिर्फ देखना रहा , सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई , मुहब्बत कुछ भी ना था , मैं करता रहा इश्क , वेशक फासले रहे दरम्यान , नजदिकियां कुछ कम ना था , वो इशारों का इशारा तेरा भा गया , मुलाकाते तो हुई बे अंजाम सा , सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई ." --- रबिन्द्र राम *** कविता *** *** सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई *** " मैं करता रहा इश्क सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई , वे अंजामे का इश्क का दौड़ था , वेनतिजन मुलाकाते तो हुई सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई ,