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*** कविता *** *** सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई ***

*** कविता *** 
*** सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई *** 

" मैं करता रहा इश्क 
सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई ,
वे अंजामे का इश्क का दौड़ था ,
वेनतिजन मुलाकाते तो हुई 
सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई ,
बेताब वो भी कुछ इस कदर ,
मिलने आते रहे बे अंजाम सा ,
देखने का बहाना सिर्फ देखना रहा ,
सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई ,
मुहब्बत कुछ भी ना था ,
मैं करता रहा इश्क ,
वेशक फासले रहे दरम्यान ,
नजदिकियां कुछ कम ना था ,
वो इशारों का इशारा तेरा भा गया ,
मुलाकाते तो हुई बे अंजाम सा ,
सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई ." 

                    --- रबिन्द्र राम *** कविता *** 
*** सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई *** 

" मैं करता रहा इश्क 
सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई ,
वे अंजामे का इश्क का दौड़ था ,
वेनतिजन मुलाकाते तो हुई 
सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई ,
*** कविता *** 
*** सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई *** 

" मैं करता रहा इश्क 
सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई ,
वे अंजामे का इश्क का दौड़ था ,
वेनतिजन मुलाकाते तो हुई 
सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई ,
बेताब वो भी कुछ इस कदर ,
मिलने आते रहे बे अंजाम सा ,
देखने का बहाना सिर्फ देखना रहा ,
सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई ,
मुहब्बत कुछ भी ना था ,
मैं करता रहा इश्क ,
वेशक फासले रहे दरम्यान ,
नजदिकियां कुछ कम ना था ,
वो इशारों का इशारा तेरा भा गया ,
मुलाकाते तो हुई बे अंजाम सा ,
सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई ." 

                    --- रबिन्द्र राम *** कविता *** 
*** सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई *** 

" मैं करता रहा इश्क 
सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई ,
वे अंजामे का इश्क का दौड़ था ,
वेनतिजन मुलाकाते तो हुई 
सिर्फ कुछ बातें नहीं हुई ,