रूबरू थे जो कभी हैं शेष सिर्फ यादों में, यादें अब लिपटी हुई हैं सूखते गुलाबों में, अनकहे से शब्द भरते हूक से मेरे हृदय में, बरस पड़ते नयन जैसे मेघ सावन भादो में, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #शेष सिर्फ़ यादों में#