ये जो कब्र पर दिया जलाने जाते हैं ये रौशन-वौशन कुछ नहीं दिल जलाने आते हैं। कब्रगाह गाहे बगाहे अब रोज़ मरासिम क्या जताने आते है। बहुत शायरी बरबाद हुई कि आएंगें वो कब्र पर, अब चैन से सोने दे गाहे बगाहे अब्र पर।