'हाय रे होली', भाग - 2,
आगे की कहानी...
उसका गिड़गिड़ाता हुआ स्वर, आर्त क्रंदन, मानसिक वेदना और साथ में रोने के कारण अटकती साँसों से ऐसा स्वर ध्वनित हो रहा था मानो मन के अंतरपटों से छन-छन कर शनै: शनै: उसकी वेदना काव्य रूप में प्रस्फुटित हो रही हो
हाय रे! कैसी मैं अभागन,
क्यों इस घर मेरा ब्याह हुआ,
पति शराबी निकला,
जीवन का हर क्षण स्याह हुआ, #YourQuoteAndMine#होलीकेहमजोली#collabwithकोराकाग़ज़#होलीकीठिठोली