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मैं छोड़कर उस गली हर मुकाम को, चला जाऊँगा किसी न क

मैं छोड़कर उस गली हर मुकाम को, चला जाऊँगा किसी न किसी दिन एक शाम को..
नींद न आयी एक अरसे से मुझे, सो लूँगा अब पीकर जाम को..
जो तू ठुकरा रहा है चल ठुकरा ले, जिंदगी नही माना है अब तक तेरे नाम को..
हर जुर्म की सजा सिर्फ मुझे मिले, क्यूँ नही देखती दुनिया तेरे काम को..
आ रही है वस्ल(मिलन) की बेला सुन, जा सौंप दे अपनी राते किसी आम को।। #bechaini
मैं छोड़कर उस गली हर मुकाम को, चला जाऊँगा किसी न किसी दिन एक शाम को..
नींद न आयी एक अरसे से मुझे, सो लूँगा अब पीकर जाम को..
जो तू ठुकरा रहा है चल ठुकरा ले, जिंदगी नही माना है अब तक तेरे नाम को..
हर जुर्म की सजा सिर्फ मुझे मिले, क्यूँ नही देखती दुनिया तेरे काम को..
आ रही है वस्ल(मिलन) की बेला सुन, जा सौंप दे अपनी राते किसी आम को।। #bechaini