Nojoto: Largest Storytelling Platform

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर.. लोग साथ आ

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर..
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया..

#मजरूह सुल्तानपुरी#
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर..
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया..

#मजरूह सुल्तानपुरी#