छूटता मन ये सिकत सा सिंधु कोई हो सम्हाले ज्वार उठता है हृदय में बंधु कोई हो समा ले टूटते जुड़ते समय में प्यार कोई हो बचा ले रूठता परिवार का प्रण कोई तो रुककर मना ले कोई तो ऐसी जगह हो बचपन जहाँ मनुहार पा ले और वय का आवेग मृदुता से जहाँ विस्तार पा ले स्वप्न से सुंदर नयन हो यौवन जहाँ श्रृंगार पा ले प्रेरणा ऐसी कि जो प्रणता का संस्कार डाले है कुशल पीढ़ी वही आँखों में बुझती लौ जिला ले #toyou #yqfamily #yqdegeneration #yqaffiliation #yqmotivation #yqlove #yqbeingwith