यह कविता व्यंगतामक है जो कुंभकरण की नींद सोते हुए एवम् अपनी दुनिया में खोए हुए हिन्दुओं के प्रति कटाक्ष करती है जिन्हे अपनी अस्तित्व की कोई फिक्र नहीं है।
दिल्ली दंगा सुनियोजित तरीके से की गई हिंसा है। अब कर भी क्या सकते है?
महज अफवाह पर आधारित विरोध जिसे वामपंथियों ने शुरू कराया और उसी विरोध की सुलगती हुईं चिंगारी को हवा देकर आग में तब्दील कर दिया गया। यह करतूत है उन कट्टर मुसलमानों और सेक्युलर हिन्दुओं की जो इस देश में खून खराबा करने में कोई गुरेज नहीं है। आखिर वो है ही खून के प्यासे जो किसी #दिल्ली_हिंसा#दिल्ली_हिन्दू_विरोधी_दंगे#delhiantihinduriot#caasupport