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सावन  :-  कुण्डलिया सावन आते ही सखी , मैं तो करुँ

सावन  :-  कुण्डलिया

सावन आते ही सखी , मैं तो करुँ शृंगार ।
इसमें दिखता है सदा , मुझे सजन का प्यार ।।

मुझे सजन का प्यार , दिलाये खुशियाँ सारी ।
भूल गई हूँ आज , प्यार में दुनियादारी ।।

उनके जैसा प्रेम , सुना है होता पावन ।
झूमें मन का मोर , सजन को पाकर सावन ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सावन  :-  कुण्डलिया


सावन आते ही सखी , मैं तो करुँ शृंगार ।

इसमें दिखता है सदा , मुझे सजन का प्यार ।।

मुझे सजन का प्यार , दिलाये खुशियाँ सारी ।
सावन  :-  कुण्डलिया

सावन आते ही सखी , मैं तो करुँ शृंगार ।
इसमें दिखता है सदा , मुझे सजन का प्यार ।।

मुझे सजन का प्यार , दिलाये खुशियाँ सारी ।
भूल गई हूँ आज , प्यार में दुनियादारी ।।

उनके जैसा प्रेम , सुना है होता पावन ।
झूमें मन का मोर , सजन को पाकर सावन ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सावन  :-  कुण्डलिया


सावन आते ही सखी , मैं तो करुँ शृंगार ।

इसमें दिखता है सदा , मुझे सजन का प्यार ।।

मुझे सजन का प्यार , दिलाये खुशियाँ सारी ।