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गुनाह करके खुद को तुम, क्यों बेगुनाह समझते हो। क्य

गुनाह करके खुद को तुम,
क्यों बेगुनाह समझते हो।
क्यों दूसरों की बर्बादी में,
अक्सर निगाह रखते हो।
शराफत छोड़कर अपनी,
खुद को मसीहा समझते हो।
ऐसा नहीं होता है दोस्त,
ऐसा करके तुम खुद को,
अक्सर गुमराह करते हो।। गुमराही...!
#quotation #गुनाह #गुमराह #मसीहा #बेगुनाह #जिंदगी #बदलता_इंसान #नियत #हिंदीज्ञान #nojoto
गुनाह करके खुद को तुम,
क्यों बेगुनाह समझते हो।
क्यों दूसरों की बर्बादी में,
अक्सर निगाह रखते हो।
शराफत छोड़कर अपनी,
खुद को मसीहा समझते हो।
ऐसा नहीं होता है दोस्त,
ऐसा करके तुम खुद को,
अक्सर गुमराह करते हो।। गुमराही...!
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