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ऐ खुदा तेरे बंदे, परेशान कितने है? लेने और बाकी, इ

ऐ खुदा तेरे बंदे, परेशान कितने है?
लेने और बाकी, इम्तेहान कितने है?

अत्याचार देखकर भी बुत बना है तू,
सोच कर ये बात हम हैरान कितने है?

सौ मुश्किलें आती है यहां एक कदम पे,
इन मंजिलो के रास्ते आसान कितने है?

लोगो ने करके रक्खा है, जीवन में अंधेरा,
और पूछते है घर में, रोशनदान कितने है?

बेफिक्र होके घूमते हैं अपने शहर में,
कयामत से यहां लोग सावधान कितने है?

चुपचाप देखते हैं जो बस्ती में लगी आग,
इस बात के अंजाम से, अंजान कितने है?

ओढ़ कर नकाब, निकलते है जो घर से,
हम जानते है उनको, वो शैतान कितने है?

सरकार नहीं रहती अपनी बात पे कायम,
वरना तो ऐसे उनके भी, ऐलान कितने है?

राजा भी हो सकता है, गद्दी से बेदखल, 
इस ताज के रखवाले दरबान कितने है?

हमको है मालूम और सब जानते हैं हम,
इसके फायदे है कितने, नुकसान कितने है?

सौ बार गिना सकता हूं, रहमो करम मेरे,
तुझ पर मेरे दुश्मन किये एहसान कितने है?

कई बार देता रहता है लड़ने की चुनौती,
तू घर में बता तेरे, पहलवान कितने है?

गिनते ही रह जायेगा, गर युद्ध हुआ तो,
तलवारे है कितनी, और मियान कितने है?

झोका ही आया है अभी एक हवा का,
आने अभी बाकी मगर तूफान कितने है?

कितनो को जलायेगा और दफनायेगा कितने,
इस शहर में आखिर तेरे शमशान कितने है?

इंसानियत के जोर में जो जीते है 
सच पूछो तो दुनिया में अब इंसान कितने है?????

©Kajal Upadhayay
  #जिंदगी के किसे Love

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