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देखते देखते दूर होते जा रहें है। बातों ही बात में

देखते देखते दूर होते जा रहें है।
बातों ही बात में छूटते जा रहे,
तुम फुर्सत से हमसे मिला करो।
तेरे इंतजार में हम शाम,
यूं ही गुजारते जा रहे है।
तुझ से बाते मेरे चेहरे की मुस्कुराहटें
तुझ से बाते मेरे थकान को भी बांटे 
तेरे हर शब्द में अपनापन लगे।
तुझ से न जानें कोई रिश्ता बहुत पुराना लगे।
तुम फुर्सत से मिला करो
तुझ से बाते नहीं तो
यह सब अनजाना लगे।
मेरी ही परछाई मुझे बैगान सा लगे।

©मुसाफिर
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