Moksha Patamu - सांप सीढ़ी सांप-सीढ़ी (खेल ही खेल में ज़िन्दगी सांप-सीढ़ी हो गयी, दिवार पर टंगी तस्वीर पर जरा धूल क्या जमी, बच्चों ने तस्वीर ही हटा दी गन्दगी दूर हो गयी।) वो सड़क सीधी है, पर रास्ता टेढ़ा है और ये रास्ता सीधा है पर सड़क टेढ़ी है. फिर बीच में ये मनगढ़ंत पगडंडियां प्यार की आड़ी तिरछी काट ले तो सांप, चढ़ा दे तो सीढ़ी है. भक्ति मेरी बुआ लगती है, यही खाला जी का घर है क्या, खुदा तो खीर है, मुझे मीर ने बताया ये खीर टेढ़ी है .