Nojoto: Largest Storytelling Platform

तुम जब भी आना चाहो ! बेख़ौफ ! चली आना,हम ''पलकें

तुम जब भी आना चाहो ! बेख़ौफ !

चली आना,हम ''पलकें  बिछाए बैठे हैं। ''

कदम तुम्हारे, जिस जगह ,जहां-जहां पड़े,

उन राहों पर, हम फूल बिछाए बैठे हैं। 

करते रहे हम ,तमन्ना !तुम्हारी चाहत की,

आप हमें क्यों ? यूं ,आजमाने बैठे हैं।  




आई हो.......  तुम !आज भी ख्वाबों में, 

हम अपनी मोहब्बत की तस्वीर बनाए बैठे हैं। 

तेरी डोली किसी और दर ना चली जाए ,

हम अपने हाथों में,अपना ये दिल संभाले बैठे हैं। 

इक दिन तुझे आना ही होगा ! दर पर मेरे ,

हम तेरे लिए ,न जाने ,कितने ख़्वाब सजाये बैठे हैं ? 

मेरी मोहब्बत की खातिर,आ जाओ !इस चौखट पर,

 तेरी राहों में हम ''पलकें बिछाए बैठे हैं''। 

                      लड़की का जबाब !

आओगे ! जिस दिन तुम ! जीवन में मेरे, सच कहती हूं !

उस दिन के लिए हम भी, अपना दामन बिछाए बैठे हैं। 

मेरे ख्वाबों से उतरकर आओगे ,जिस दिन मेरे लिए ,

आंगन की बगिया में ,हम उस प्रेम की बगिया को सजाए बैठे हैं। 

हमारा दिल भी धड़कता है, आज भी तुम्हारे लिए ,

अपने' सितमगर ' से हम मोहब्बत की आस लगाए बैठे हैं।

©Laxmi Tyagi
  #atthetop 
#पलकें बिछाये बैठे हैं
laxmityagi1712

Laxmi Tyagi

New Creator

#atthetop #पलकें बिछाये बैठे हैं #कविता

27 Views