Unsplash कभी कभी देखे हुए सपने भी टूट जाते है और हम सिर्फ दोराहे पर खड़े रह जाते है माना मुमकिन नहीं है अब लौट कर आना बस यही आश में अपनो से दूर हुए बैठे है ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #leafbook कभी कभी देखे हुए सपने भी टूट जाते है और हम सिर्फ दोराहे पर खड़े रह जाते है