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सीधी बात समझ में आती घुमा-फिराकर कहना क्या, दिल क

सीधी बात समझ में आती घुमा-फिराकर कहना क्या, 
दिल की बात पहुँचती दिल तक बढ़ा-चढ़ाकर कहना क्या, 

एकतरफा संवाद समस्या का हल कभी न हो सकता, 
ज़ज़्बातों की क़द्र न हो फिर बेमतलब चुप रहना क्या, 

होशियार  रहना  पड़ता  है  समझदार  के  आगे  भी, 
ख़ामोशी बन जाए मुसीबत इसके आगे सहना क्या, 

सिर्फ दिखावा करते फिरते टिकी ज़रूरत पर दुनिया, 
समझौते पर टिकी मोहब्बत घुट-घुटकर यूँ दहना क्या, 

शांति-सुकून बिना सब फीका धन-दौलत बेकार सभी, 
तौल दिया सोने चाँदी में प्यार से बढ़कर गहना क्या, 

बागवान को आँख दिखाने लगे चमन के फूल जहाँ, 
तोड़ दिया अनुबंध प्रेम का फिर भाई क्या बहना क्या, 

हुआ खज़ाना खाली लटका दिया है ताला लाॅकर में,
पेड़े हुए दूध को 'गुंजन' झूठ-मूठ का महना क्या, 
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
            चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #कहना क्या#
सीधी बात समझ में आती घुमा-फिराकर कहना क्या, 
दिल की बात पहुँचती दिल तक बढ़ा-चढ़ाकर कहना क्या, 

एकतरफा संवाद समस्या का हल कभी न हो सकता, 
ज़ज़्बातों की क़द्र न हो फिर बेमतलब चुप रहना क्या, 

होशियार  रहना  पड़ता  है  समझदार  के  आगे  भी, 
ख़ामोशी बन जाए मुसीबत इसके आगे सहना क्या, 

सिर्फ दिखावा करते फिरते टिकी ज़रूरत पर दुनिया, 
समझौते पर टिकी मोहब्बत घुट-घुटकर यूँ दहना क्या, 

शांति-सुकून बिना सब फीका धन-दौलत बेकार सभी, 
तौल दिया सोने चाँदी में प्यार से बढ़कर गहना क्या, 

बागवान को आँख दिखाने लगे चमन के फूल जहाँ, 
तोड़ दिया अनुबंध प्रेम का फिर भाई क्या बहना क्या, 

हुआ खज़ाना खाली लटका दिया है ताला लाॅकर में,
पेड़े हुए दूध को 'गुंजन' झूठ-मूठ का महना क्या, 
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
            चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #कहना क्या#