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" नज़र को नज़र आऊ तो कुछ बात समझू मैं , वस्ल ख्याल

" नज़र को नज़र आऊ तो कुछ बात समझू मैं ,
वस्ल ख्याल तेरा ना ले डुबे मुझे फिर कहीं और नज़र आऊ मैं ,
कर ख्याल कुछ तु भी की कुछ ख्यालात बने ,
रंजिशे आलम तेरा खुमारी का सुरुर लम्स बस जन्द रोज से परेशान कर रहा ." 

                              --- रबिन्द्र राम  " नज़र को नज़र आऊ तो कुछ बात समझू मैं ,
वस्ल ख्याल तेरा ना ले डुबे मुझे फिर कहीं और नज़र आऊ मैं ,
कर ख्याल कुछ तु भी की कुछ ख्यालात बने ,
रंजिशे आलम तेरा खुमारी का सुरुर लम्स बस जन्द रोज से परेशान कर रहा ." 

                              --- रबिन्द्र राम 

#नज़र
" नज़र को नज़र आऊ तो कुछ बात समझू मैं ,
वस्ल ख्याल तेरा ना ले डुबे मुझे फिर कहीं और नज़र आऊ मैं ,
कर ख्याल कुछ तु भी की कुछ ख्यालात बने ,
रंजिशे आलम तेरा खुमारी का सुरुर लम्स बस जन्द रोज से परेशान कर रहा ." 

                              --- रबिन्द्र राम  " नज़र को नज़र आऊ तो कुछ बात समझू मैं ,
वस्ल ख्याल तेरा ना ले डुबे मुझे फिर कहीं और नज़र आऊ मैं ,
कर ख्याल कुछ तु भी की कुछ ख्यालात बने ,
रंजिशे आलम तेरा खुमारी का सुरुर लम्स बस जन्द रोज से परेशान कर रहा ." 

                              --- रबिन्द्र राम 

#नज़र