अब इक दूसरे से बहुत जलते हैं लोग रोज नए-नए चेहरे बदलते हैं लोग जब तक हो जरूरत बहुत पास रहते है फिर चुपके से बहुत दूर निकलते हैं लोग सामने वाले को नीचा दिखाने के लिए आजकल चाल कैसे-कैसे चलते हैं लोग दूसरों से चाहते हैं उनका एहतराम करे मगर खुद ही जहर उगलते हैं लोग डूबता देख जिसे हांथ पकड़ाया जाए कश्तियों से फिर वही ढ़केलते हैं लोग पहले नही आता किसीको समझ "महबूब" ठोकर खाकर ही तो संभलते हैं लोग #जलते #बदलते_लोग #एहतराम #जहर #उगलना #संभलते #गुमनाम_शायर_महबूब #gumnam_shayar_mahboob