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Raam Sevariya
बात तो वस-वसे की है, कभी खफ़ा हम थे ही नहीं! लगा जमाने को कि एहतराम है हमें, और हम थे कि कभी सोचे ही नहीं! ©Raam Sevariya #WoRaat #बात तो वस-वसे की है, कभी #खफ़ा हम थे ही नहीं! लगा #जमाने को कि #एहतराम है हमें, और #हम थे कि कभी सोचे ही नहीं! #raamsevariya #nojohindi #SAD
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read moreRabindra Kumar Ram
*** ग़ज़ल *** *** मौजुदगी *** " यूं होने को बात ये भी हैं , किसी ऐवज में कभी तेरे , कभी मेरे पले में आयेगा , वजूद फिर किस में किस की तलाश की जाये , जो जिस्म से तेरी खुशबू आयेगा , ख्वाब मेरा महज़ मेरा ख्वाब ना हो , इसमें तेरी मौजूदगी की तलाश तो मुकम्बल हो , तसव्वुर के ख्यालों के नुमाइश में , किस किस को चेहरा और तेरा नाम देता फिरे , फिर कहीं ऐसा हो तेरी मौजूदगी हो और , मेरी - तेरी जुस्तजू की तलब कोई मुकाम ले ले , यूं होने को मुस़ाफिर हम भी हैं , फिर किसी बात पे राजी तुम भी हो , बस्ल हो ऐसा की हमारे रफ़ाक़त पे यकीन आये , क्यों ना तेरा ख्वाब मुसलसल कर लें , मैं चाहे जिस जद में रहूं क्यों ना , फिर भी तुझसे इक मुलाकात कर लें , हम तेरा एहतराम यूं ही करेंगे , मुहब्बत ना भी हो तो मुहब्बत का भ्रम रखेंगे , मिल जा बिछड़ जा फिर कहीं मुख्तलिफ बात की अदावत ठहरी , यूं तेरा ज़िक्र बामुश्किल भी नहीं , करते हैं जो एहतराम ऐसे में . " --- रबिन्द्र राम #मौजुदगी #वस्ल #रफ़ाक़त #मुहब्बत #मुख्तलिफ #अदावत #ज़िक्र #एहतराम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** मौजुदगी *** " यूं होने को बात ये भी हैं , किसी ऐवज में कभी तेरे , कभी मेरे पले में आयेगा , वजूद फिर किस में किस की तलाश की जाये , जो जिस्म से तेरी खुशबू आयेगा ,
*** ग़ज़ल *** *** मौजुदगी *** " यूं होने को बात ये भी हैं , किसी ऐवज में कभी तेरे , कभी मेरे पले में आयेगा , वजूद फिर किस में किस की तलाश की जाये , जो जिस्म से तेरी खुशबू आयेगा ,
read moreRabindra Kumar Ram
" मिलने को तो तेरे शहर गली मुहल्लो के लोग भी मिलते हैं, अफसोस मैं तेरी मौजुदगी से हर तरफ नागवार से होते हैं, " कहने को तो बहुत कुछ होता अफसोस कुछ कहते नहीं, कब तक ये एहतराम करे मेरा इश्क़ मुसलसल होता इसकदर राब्ता करे तो करे और कैसे. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " मिलने को तो तेरे शहर गली मुहल्लो के लोग भी मिलते हैं, अफसोस मैं तेरी मौजुदगी से हर तरफ नागवार से होते हैं, " कहने को तो बहुत कुछ होता अफसोस कुछ कहते नहीं, कब तक ये एहतराम करे मेरा इश्क़ मुसलसल होता इसकदर राब्ता करे तो करे और कैसे. " --- रबिन्द्र राम #शहर #मौजुदगी #नागवार #अफसोस #एहतराम #इश्क़ #मुसलसल #राब्ता
" मिलने को तो तेरे शहर गली मुहल्लो के लोग भी मिलते हैं, अफसोस मैं तेरी मौजुदगी से हर तरफ नागवार से होते हैं, " कहने को तो बहुत कुछ होता अफसोस कुछ कहते नहीं, कब तक ये एहतराम करे मेरा इश्क़ मुसलसल होता इसकदर राब्ता करे तो करे और कैसे. " --- रबिन्द्र राम #शहर #मौजुदगी #नागवार #अफसोस #एहतराम #इश्क़ #मुसलसल #राब्ता
read moreAmit Singhal "Aseemit"
एहतराम करो अपने माता पिता और गुरुओं का, क्योंकि हमेशा यही लोग तुम से करते हैं आशा। जिन्होंने भंडार दिया बोलचाल और संस्कारों का, ज्ञान, अनुशासन और व्यवहार की सिखाई है भाषा। ©Amit Singhal "Aseemit" #एहतराम #करो #अपने #माता #पिता
Rabindra Kumar Ram
" मुझपे ये इल्ज़ाम लग चला है , तेरे नजरों का एहतराम हो चला है , कर दे तु ही ये फैसला जरा , आखिर तु मुझे कैन सा इनाम देने चला है . " --- रबिन्द्र राम " मुझपे ये इल्ज़ाम लग चला है , तेरे नजरों का एहतराम हो चला है , कर दे तु ही ये फैसला जरा , आखिर तु मुझे कैन सा इनाम देने चला है . " --- रबिन्द्र राम #इल्ज़ाम #नजरों #एहतराम #फ़ैसला #इनाम
Deepak "New Fly of Life"
एहतराम-ए-रिश्ता होना ही चाहिए! गुल-ए-बाग़ खिलना ही चाहिए! चाँद-ए-आसमाँ आसमाँ-ए-दीदार होना ही चाहिए! याद-ए-दिल्लगी एहसास-ए-याद होना ही चाहिए! यह कोई सौदा नहीं जो मोल भाव करके ही होना चाहिए!! ©Deepak Bisht #एहतराम-ए-रिश्ता
#एहतराम-ए-रिश्ता
read moreVaseem Qureshi
--- मुझे दरवाज़े से छुपकर..#सलाम किया उसने... इस तरह मेरे इश्क़ का #एहतराम किया उसने...!! --- 😌 ©Vaseem Qureshi #Salam..e..ishq...
#salam..e..ishq...
read moreRabindra Kumar Ram
" मुझपे ये इल्ज़ाम लग चला है , तेरे नजरों का एहतराम हो चला है , कर दे तु ही ये फैसला जरा , आखिर तु मुझे कैन सा इनाम देने चला है . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " मुझपे ये इल्ज़ाम लग चला है , तेरे नजरों का एहतराम हो चला है , कर दे तु ही ये फैसला जरा , आखिर तु मुझे कैन सा इनाम देने चला है . " --- रबिन्द्र राम #इल्ज़ाम #नजरों #एहतराम #फैसला #इनाम
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