जिन्दगी को ना समझ तु आसान रुलाती भी है जीना भी सिखलाती है उम्मीदें जहां हो कायम कभी इतराती है कभी मुस्कुराती भी है रास्ते अलग कहां है उनसे एक ही सफर में सपने दिखलाती है कभी तूटे सपनों से एक दास्तान भी लिखती है ©Tafizul Sambalpuri #Shaayari शायरी