क्या मोहब्बत ऐसी ही होती है? जो कर वादा,जता उम्मीदे, दिखा के सपने, फिर तोड़ जाती है। क्या मोहब्बत ऐसी ही होती है? कुछ दिन पलको तले सजा, नज़रे भरते रहना, पलको से जमीन पे आकर, नाजाने कब पैरो तले , धूल बन जाती है। क्या मोहब्बत ऐसी ही होती है? पहले तो जब देखे उसे , तो ही सुबह। दिन में भी चांद सी दिखाई देती है। फिर नजाने क्यों धीरे धीरे, अमावस की श्याम बन जाती है। क्या मोहब्बत ऐसी ही होती है? #NojotoQuote