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तुम मुझे.. अंधेरी कोठरी में जलता चिराग लगती हो उम्

तुम मुझे..
अंधेरी कोठरी में जलता चिराग लगती हो
उम्मीदों को समेटे हुए
तुम मुझे खुला आसमान लगती हो
जिसे बार-बार पढ़ने को दिल करे
तुम मुझे वही किताब लगती हो
तुम्हारा होना ना
सुकून भर देता है मेरी साँसों ने
और तुम्हारे न होने से
ज़िन्दगी का वजूद ही
कुछ हिला-हिला सा लगता है

तुम मुझे..
समंदर में अठखेलियाँ करती हुई
लहर सी लगती हो
भोर,सांझ और दोपहर सी लगती हो
तुम चादर की सिलवट जैसी लगती हो
जितना लिपटना चाहता हूँ
तुम उतनी ही दूर चली जाती हो
मेरे बिछावन के तकिये
तुम्हारे बिना बेसुध पड़े रहते हैं
और तुम जाते-जाते
सिर्फ मुझे नींद दे जाती हो—अभिषेक राजहंस तुम मुझे #Nojoto #Nojotohindi #ishq
तुम मुझे..
अंधेरी कोठरी में जलता चिराग लगती हो
उम्मीदों को समेटे हुए
तुम मुझे खुला आसमान लगती हो
जिसे बार-बार पढ़ने को दिल करे
तुम मुझे वही किताब लगती हो
तुम्हारा होना ना
सुकून भर देता है मेरी साँसों ने
और तुम्हारे न होने से
ज़िन्दगी का वजूद ही
कुछ हिला-हिला सा लगता है

तुम मुझे..
समंदर में अठखेलियाँ करती हुई
लहर सी लगती हो
भोर,सांझ और दोपहर सी लगती हो
तुम चादर की सिलवट जैसी लगती हो
जितना लिपटना चाहता हूँ
तुम उतनी ही दूर चली जाती हो
मेरे बिछावन के तकिये
तुम्हारे बिना बेसुध पड़े रहते हैं
और तुम जाते-जाते
सिर्फ मुझे नींद दे जाती हो—अभिषेक राजहंस तुम मुझे #Nojoto #Nojotohindi #ishq