तेरे जन्म पर सभी रिश्तेदार होठ सीये बैठे थे, निढाल सा गोद में, तुझे चुपचाप लिये बैठे थे। कोई कह रहा था, मुँआ बेटी ही तो जनी है, सबकी बातें सुन, क्रोध का घूँट पिये बैठे थे। तेरे मुख मंडल पे, हल्की सी मुस्कान छाई, मैंने कहा देखो देखो, मेरे घर लक्ष्मी आई। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 157 में स्वागत करता है..🙏🙏 💫आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।