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विषय :- संतान दोहा :- विपदा में संतान ही , मात

विषय  :- संतान
दोहा :-
विपदा  में  संतान  ही , मातु-पिता  की आस ।
हाथ  उठा  माँगें  दुआ , रहे  सदा  वह  पास ।।

सुख दुख में संतान जो , कल तक रही सहाय ।
आज वही  संताप  का ,  कारण  बनती जाय ।।

मातु-पिता  से  प्यार  जो  , करती  है  संतान ।
जग में  उनको  ही  सदा , मिलता  है सम्मान ।।

माँग  रही  माता  सभी ,  माता  से  वरदान ।
रघुनायक जैसा  मुझे  , दे  दो  तुम  संतान ।।

चरण धूल नित मातु की , लेती जो संतान ।
जीवन की  बाधा  हटे , राह  बनें  आसान ।।

कुण्डलिया :-
माता  रानी  आज  दो , सबको   यह  वरदान ।
मात-पिता  की  बात  को , मानें  अब  संतान ।।
मानें   अब    संतान ,  तात  क्यों   वैरी   होवे ।
पाकर  तनय  कपूत  , कभी न निंदिया खोवे ।।
कहे प्रखर अब मातु ,आज वर ये मिल जाता ।
कट  जायें  सब  कष्ट , आप जब  चाहो माता ।।

२६/०३/२०२३     -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विषय  :- संतान
दोहा :-

विपदा  में  संतान  ही , मातु-पिता  की आस ।
हाथ  उठा  माँगें  दुआ , रहे  सदा  वह  पास ।।

सुख दुख में संतान जो , कल तक रही सहाय ।
आज वही  संताप  का ,  कारण  बनती जाय ।।
विषय  :- संतान
दोहा :-
विपदा  में  संतान  ही , मातु-पिता  की आस ।
हाथ  उठा  माँगें  दुआ , रहे  सदा  वह  पास ।।

सुख दुख में संतान जो , कल तक रही सहाय ।
आज वही  संताप  का ,  कारण  बनती जाय ।।

मातु-पिता  से  प्यार  जो  , करती  है  संतान ।
जग में  उनको  ही  सदा , मिलता  है सम्मान ।।

माँग  रही  माता  सभी ,  माता  से  वरदान ।
रघुनायक जैसा  मुझे  , दे  दो  तुम  संतान ।।

चरण धूल नित मातु की , लेती जो संतान ।
जीवन की  बाधा  हटे , राह  बनें  आसान ।।

कुण्डलिया :-
माता  रानी  आज  दो , सबको   यह  वरदान ।
मात-पिता  की  बात  को , मानें  अब  संतान ।।
मानें   अब    संतान ,  तात  क्यों   वैरी   होवे ।
पाकर  तनय  कपूत  , कभी न निंदिया खोवे ।।
कहे प्रखर अब मातु ,आज वर ये मिल जाता ।
कट  जायें  सब  कष्ट , आप जब  चाहो माता ।।

२६/०३/२०२३     -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विषय  :- संतान
दोहा :-

विपदा  में  संतान  ही , मातु-पिता  की आस ।
हाथ  उठा  माँगें  दुआ , रहे  सदा  वह  पास ।।

सुख दुख में संतान जो , कल तक रही सहाय ।
आज वही  संताप  का ,  कारण  बनती जाय ।।

विषय :- संतान दोहा :- विपदा में संतान ही , मातु-पिता की आस । हाथ उठा माँगें दुआ , रहे सदा वह पास ।। सुख दुख में संतान जो , कल तक रही सहाय । आज वही संताप का , कारण बनती जाय ।। #कविता