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जब कोई ना हो तो स्वयं का होना सबसे ज़रूरी होता है

जब कोई ना हो तो स्वयं का होना सबसे ज़रूरी होता है 
स्वयं पे विश्वास होना सबसे ज़रूरी हो जाता है इक समय
 पे जब आपको ज्ञात हो जाता है कि स्वयं से ज़्यादा ज़रूरी
 कोई नहीं है स्वयं से ज़्यादा समय तक कोई साथ नहीं रह सकता
इक तयशुदा वक्त के बाद हर किसी को जाना है कोई ख़ुद की
 मर्ज़ी से जाता तो कोई ख़ुदा की मर्ज़ी से जाता कोई
 मजबूरी में जाता तो कोई मजबूरियाँ का बहाना बना कर जाता 
कोई मन भरने के बाद जाता तो कोई मन मारके जाता 
पर जाता हर कोई है इसलिए विश्वास रखें स्वयं पे वो लिखा 
भी है ना कही ना “ की ख़ुदा को भी ढूड़ना है तो ख़ुद में ढूँढे 
कोई हो ना हो पर स्वयं पे विश्वास रखना बहुत ज़रूरी है 
और समय के साथ ख़ुद को समझाना भी मैं नहीं कहता आप 
किसी को भूल के भुला के किसी दूसरे के कंधे को 
ढूँढे ख़ुद के कंधे को सबसे मज़बूत बनाए
#ख़ैर

©पूर्वार्थ
जब कोई ना हो तो स्वयं का होना सबसे ज़रूरी होता है 
स्वयं पे विश्वास होना सबसे ज़रूरी हो जाता है इक समय
 पे जब आपको ज्ञात हो जाता है कि स्वयं से ज़्यादा ज़रूरी
 कोई नहीं है स्वयं से ज़्यादा समय तक कोई साथ नहीं रह सकता
इक तयशुदा वक्त के बाद हर किसी को जाना है कोई ख़ुद की
 मर्ज़ी से जाता तो कोई ख़ुदा की मर्ज़ी से जाता कोई
 मजबूरी में जाता तो कोई मजबूरियाँ का बहाना बना कर जाता 
कोई मन भरने के बाद जाता तो कोई मन मारके जाता 
पर जाता हर कोई है इसलिए विश्वास रखें स्वयं पे वो लिखा 
भी है ना कही ना “ की ख़ुदा को भी ढूड़ना है तो ख़ुद में ढूँढे 
कोई हो ना हो पर स्वयं पे विश्वास रखना बहुत ज़रूरी है 
और समय के साथ ख़ुद को समझाना भी मैं नहीं कहता आप 
किसी को भूल के भुला के किसी दूसरे के कंधे को 
ढूँढे ख़ुद के कंधे को सबसे मज़बूत बनाए
#ख़ैर

©पूर्वार्थ