शहर की आबोहवा इतनी बदनाम क्यों है रिश्तों में जहर की कड़वाहट आम क्यों है जी रहे है सभी अकेलेपन का बोझ लेकर सिमटकर हुआ आदमी अब गुमनाम क्यों है शरीफों की तरह गर रहते सब इस मुल्क में फिर औरतों की इज्जत होती नीलाम क्यों है उसको जम्हूरियत ने बिठाया जब गद्दी पर उसके फैसलों से फिर मचा कोहराम क्यों है दफ्न कर दिया जब गुजरी जिंदगी को संजय जुबां पर अक्सर आता उसका ही नाम क्यों है ©संजय श्रीवास्तव #GateLight