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तुम सदा शिव मेरे रहना… क्या लिखूँ शिव तुम्हारे लि

तुम सदा शिव मेरे रहना…

क्या लिखूँ शिव तुम्हारे लिए,
तुम सदा शिव मेरे रहना।

मैं नहीं तुम्हारा बहुत बड़ा पुजारी शिव,
पर रग रग में तुम मेरे, मुझे है कहना।

तुम हो प्रेरणा मेरी, मुझे शांत करने की,
जब हो साथ मेरे , न दुनिया से डरने की।

कभी कभी सोचता हूँ, छोड़ ये दुनियादारी, 
तुम्हारी भक्ति में बैरागी बन जाऊँ।

जपूँ सिर्फ़ नाम तुम्हारा, हो मगन तुम में,
इस संसार की, न मैं सुध बनाऊँ।

फिर सोचता हूँ, 
इस संसार के इंसान भी तो तुम्हीं ने रचे हैं।

सौंपी ज़िम्मेदारियाँ परिवार की,
इन से तो न ख़ुद तुम बचे हैं।

हे मेरे शिव मुझे शक्ति देना, मैं खरा उतरूँ, 
अपने परिवार की ज़िम्मेदारियाँ उठाने में,

चाहे कितनी भी मुश्किलें मुझे पड़ें सहना।
तुम सदा शिव मेरे रहना।

©Ravindra Singh तुम सदा शिव मेरे रहना…

क्या लिखूँ शिव तुम्हारे लिए,
तुम सदा शिव मेरे रहना।

मैं नहीं तुम्हारा बहुत बड़ा पुजारी शिव,
पर रग रग में तुम मेरे, मुझे है कहना।
तुम सदा शिव मेरे रहना…

क्या लिखूँ शिव तुम्हारे लिए,
तुम सदा शिव मेरे रहना।

मैं नहीं तुम्हारा बहुत बड़ा पुजारी शिव,
पर रग रग में तुम मेरे, मुझे है कहना।

तुम हो प्रेरणा मेरी, मुझे शांत करने की,
जब हो साथ मेरे , न दुनिया से डरने की।

कभी कभी सोचता हूँ, छोड़ ये दुनियादारी, 
तुम्हारी भक्ति में बैरागी बन जाऊँ।

जपूँ सिर्फ़ नाम तुम्हारा, हो मगन तुम में,
इस संसार की, न मैं सुध बनाऊँ।

फिर सोचता हूँ, 
इस संसार के इंसान भी तो तुम्हीं ने रचे हैं।

सौंपी ज़िम्मेदारियाँ परिवार की,
इन से तो न ख़ुद तुम बचे हैं।

हे मेरे शिव मुझे शक्ति देना, मैं खरा उतरूँ, 
अपने परिवार की ज़िम्मेदारियाँ उठाने में,

चाहे कितनी भी मुश्किलें मुझे पड़ें सहना।
तुम सदा शिव मेरे रहना।

©Ravindra Singh तुम सदा शिव मेरे रहना…

क्या लिखूँ शिव तुम्हारे लिए,
तुम सदा शिव मेरे रहना।

मैं नहीं तुम्हारा बहुत बड़ा पुजारी शिव,
पर रग रग में तुम मेरे, मुझे है कहना।

तुम सदा शिव मेरे रहना… क्या लिखूँ शिव तुम्हारे लिए, तुम सदा शिव मेरे रहना। मैं नहीं तुम्हारा बहुत बड़ा पुजारी शिव, पर रग रग में तुम मेरे, मुझे है कहना। #Poetry