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बे खौफ़ हूँ मैं मुझे समंदर में डूब जाने दे। न रोक म

बे खौफ़ हूँ मैं मुझे समंदर में डूब जाने दे।
न रोक मुझे आहिस्ता आहिस्ता करीब आने दे।

ऊजड़ चुके थे जो आशियाने दिल के कभी।
दे के दिल मे जगह अपने फिर से उसे बसाने दे।

कुछ तो बात है तेरी ज़ुल्फ़ों के साये में।
मेरी हर शाम अपनी ज़ुल्फ़ तले बिखर जाने दे।

टूटा हूँ ज़ार-ज़ार मैं अपनों के दिए तानों से।
आज अपनी बाहों में मुझे फिर से पिघल जाने दे।

महकती है  खुशबू तेरी साँसों के दरमियाँ।
समेट ले मुझे खुद में ज़र्रे-ज़र्रे में समां जाने दे.......।

©arjun verma #arjun allahabadi poems

#bonding  SHRIMALI MAITRI  Roli rajpoot Riya Soni Sujata jha
बे खौफ़ हूँ मैं मुझे समंदर में डूब जाने दे।
न रोक मुझे आहिस्ता आहिस्ता करीब आने दे।

ऊजड़ चुके थे जो आशियाने दिल के कभी।
दे के दिल मे जगह अपने फिर से उसे बसाने दे।

कुछ तो बात है तेरी ज़ुल्फ़ों के साये में।
मेरी हर शाम अपनी ज़ुल्फ़ तले बिखर जाने दे।

टूटा हूँ ज़ार-ज़ार मैं अपनों के दिए तानों से।
आज अपनी बाहों में मुझे फिर से पिघल जाने दे।

महकती है  खुशबू तेरी साँसों के दरमियाँ।
समेट ले मुझे खुद में ज़र्रे-ज़र्रे में समां जाने दे.......।

©arjun verma #arjun allahabadi poems

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#arjun allahabadi poems #bonding SHRIMALI MAITRI Roli rajpoot Riya Soni Sujata jha #शायरी