कहीं भी घर बना लो हो सके तो मेरे हृदय में बना लो हो सके के तो मेरे पलकों पे बसेरा बना लो हो सके तो मेरी रूह में अपना घरौंदा बना लो कहीं भी घर बना लो हो सके तो मेरे स्वप्न में अपना ठिकाना बना लो हो सके तो मेरे मन मंदिर को अपना धाम बना लो हो सके तो मेरी कुटिया को अपना भवन बना लो हो सके तो मेरे लोचन को अपना आलय बना लो कहीं भी घर बना लो ✍️श्वेता सिंह सुप्रभात। जहाँ चाह वहाँ राह जीवन भी इसी चाह से राह पाता है। #घर #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi