क्यू तलाशते हो मेरी अज्मत मुझमें क्या ऐसी बात है तुम आसमान के पंछी ठहरे पर यहां अभी बरसात है तुम लिए चराग हथेली पर क्यू झूंठा दिलाशा देते हो मैं सूरज को दोस्त कहूं ही क्यू जब अपनी रानी रात है हम काम करें तो रात पहर कोई ख़्वाब सजे तो रात पहर वस्ल - हिज्र की नज्मों पर हम गज़ल लिखें भी रात पहर हम कतल करें तो कागज़ में हम प्यार लिखें तो कागज़ में हमें क्या चाहत हुस्न तपिश की हम इश्क लिखें भी कागज़ में सो गया जहां जब ढली शाम बिस्तर पर रखके कुछ सामान उस बखत मैं तुझको याद करूं जब सो जाता सारा जहान तुम समझ सको मेरे सबब रात का वो तुझमें नहीं जज़्बात है मैं सूरज को दोस्त कहूं ही क्यू जब अपनी रानी रात है।। 3S✍️ ©Sachin Shukla Shukla G #shayri #Love #treanding #shere #najm #Marriage