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प्रीत की रीत लागी तोह से, फिर क्यूँ नैनों से सा

प्रीत की रीत  लागी तोह से, फिर क्यूँ  नैनों से  सावन बरसे,
मैं मीन तेरे प्रेम के सागर में, फिर क्यूँ प्यासा मन मेरा तरसे।
मृग समान मन  वन वन भटके, तेरो दरस ना पाऊँ गिरधारी,
मनीषा बनी  मृगतृष्णा, छलका दे एक बूँद  अपने सागर से।
 प्रतियोगिता संख्या 26 का शीर्षक है मृगतृष्णा जिसका अर्थ होता है मृगतृषा इसको मृग मरीचिका के नाम से भी जानते हैं, ऐसी तृष्णा जो प्रायः संभव नहीं होती।।mirage,fata morgana
मर्यादित शब्दों का प्रयोग करें
आपको आपकी रचना लिखने के बाद कमेंट में Done लिखना आवश्यक है
समय सीमा आज शाम 7:00 बजे तक है
टेस्टिमोनियल उपहार स्वरूप प्रदान की जाएंगे  #YourQuoteAndMine
Collaborating with Kavya Abhinandan
प्रीत की रीत  लागी तोह से, फिर क्यूँ  नैनों से  सावन बरसे,
मैं मीन तेरे प्रेम के सागर में, फिर क्यूँ प्यासा मन मेरा तरसे।
मृग समान मन  वन वन भटके, तेरो दरस ना पाऊँ गिरधारी,
मनीषा बनी  मृगतृष्णा, छलका दे एक बूँद  अपने सागर से।
 प्रतियोगिता संख्या 26 का शीर्षक है मृगतृष्णा जिसका अर्थ होता है मृगतृषा इसको मृग मरीचिका के नाम से भी जानते हैं, ऐसी तृष्णा जो प्रायः संभव नहीं होती।।mirage,fata morgana
मर्यादित शब्दों का प्रयोग करें
आपको आपकी रचना लिखने के बाद कमेंट में Done लिखना आवश्यक है
समय सीमा आज शाम 7:00 बजे तक है
टेस्टिमोनियल उपहार स्वरूप प्रदान की जाएंगे  #YourQuoteAndMine
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