White जब जब घूरा है दुश्मन ने भारत मां के आंचल को, ना जाने कितने शहीदों की विधवाओं ने मेहंदी लगे हाथों से मंगलसूत्र उतारे होंगे। शहीदों पर राजनीति करने वालों जरा उन आंखों के आंसुओं को तो देखो लो, जिसकी एक एक बूंद किसी समुंद्र से कम ना रही होगी। उन मेहंदी लगे हाथों ने सफेद साड़ी पहन कर , मेहंदी लगे हाथों से मांग का सिंदूर मिटाया होगा। क्या गुजरी होगी उनके सीने पर। शहीदों पर राजनीति करने वालों, उन बहनों की दिल की धड़कन किसी बिजली की गड़गड़ाहट से कम ना रही होगी। उन मेहंदी लगे हाथों ने कैसे उतारे होंगे पांव के बिछुआ, कांप उठा होगा रूह रूह क्या गुजरी होगी उनके सीने पर। जब जब घूरा है दुश्मन ने भारत मां के आंचल को, ना जाने कितने शहीदों की विधवाओं ने मेहंदी लगे हाथों से मंगलसूत्र उतारे होंगे। ©कवि- जीतू जान #Indian_flag