विचलीत मन ये ज़िन्दगी का दस्तुर है, आज ग़म तो कल खुशियां जरूर है। बेबजाह क्यों विचलीत होते हो, येतो वक़्त है ये भी गुज़र जाएगा। अपनो का चुनाव बूरा वक़्त बतायेगा, चेहरों से नक़ाब अब ये वक़्त ही हटाएगा। मुक़म्मल जहा युही नही मिलता है, कुछ अदायगी तुम को भी है चुकानी। अफ़सोस अब है किस बात का , ये तो ज़िन्दगी का अहम हिस्सा है। न रंज रख न बैर रख न रख तू अब मलाल, अपने कर्मो का फल तुझे यही है पाना। ये ज़िन्दगी का दस्तुर है, आज ग़म तो कल खुशियां जरूर है। #विचलीत_मन #MrShabdkaar