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नोचोगे मेरे जिस्म को वस्त्र तार तार कर दो गे तुम म

नोचोगे मेरे जिस्म को
वस्त्र तार तार कर दो गे
तुम मेरे सुन्दर मुखड़े को
चांद सा दाग़ दार कर दो गे
कहां तो कसम खाते हों
मेरी पवित्रता की जो मांग लिया
थोड़ा सा हक़ तुम ही मुझे अपनी
ज़िन्दगी से बेदखल कर दो गे
कहां जीती है औरत अपने लिए
कहां उसकी पहचान होती है
औरत तो जन्म से किसी और
के घर की शान होती है
तड़पती हैं औरों के लिए
अपने ही दुःख से अनजान होती है
,,,,,,
सुरेन्द्र लोहोट
02/05/2022

©surender kumar J P Lodhi. Anita Mishra Sudha Tripathi Sethi Ji  Asha...#anu
नोचोगे मेरे जिस्म को
वस्त्र तार तार कर दो गे
तुम मेरे सुन्दर मुखड़े को
चांद सा दाग़ दार कर दो गे
कहां तो कसम खाते हों
मेरी पवित्रता की जो मांग लिया
थोड़ा सा हक़ तुम ही मुझे अपनी
ज़िन्दगी से बेदखल कर दो गे
कहां जीती है औरत अपने लिए
कहां उसकी पहचान होती है
औरत तो जन्म से किसी और
के घर की शान होती है
तड़पती हैं औरों के लिए
अपने ही दुःख से अनजान होती है
,,,,,,
सुरेन्द्र लोहोट
02/05/2022

©surender kumar J P Lodhi. Anita Mishra Sudha Tripathi Sethi Ji  Asha...#anu