Nojoto: Largest Storytelling Platform

मिट्टी का वो घर कितना सुकून था उसका एक आगंन भी था

मिट्टी का वो घर
कितना सुकून था
उसका एक आगंन भी था
कुछ रिश्ते थे मिठे मिठे से
एक पहचान भी था

गुजरते लमहों मैं
कुछ खोया खोया लगता है
जहां रिश्ते बिखरे पडे हैं
पहचान खोया है
मिट्टी का वो घर अब महल दिखता है

तस्वीरों ने कब रगं बदला
या तकदीरों ने अपना मन बदला
बदला भी है एक पन्ना जिनदगी का
चलो उन लमहों से पुछ लेते हैं
क्यु अब सबकुछ बेजान सा लगता है

मिट्टी का वो घर
कितना सुकून था
उसका एक आगंन भी था
कुछ रिश्ते थे मिठे मिठे से
एक पहचान भी था ।

©Tafizul Sambalpuri #GoodMorning  Irfan Saeed Writer Dr. Sakshi Devanshi SANA@ rasmi
मिट्टी का वो घर
कितना सुकून था
उसका एक आगंन भी था
कुछ रिश्ते थे मिठे मिठे से
एक पहचान भी था

गुजरते लमहों मैं
कुछ खोया खोया लगता है
जहां रिश्ते बिखरे पडे हैं
पहचान खोया है
मिट्टी का वो घर अब महल दिखता है

तस्वीरों ने कब रगं बदला
या तकदीरों ने अपना मन बदला
बदला भी है एक पन्ना जिनदगी का
चलो उन लमहों से पुछ लेते हैं
क्यु अब सबकुछ बेजान सा लगता है

मिट्टी का वो घर
कितना सुकून था
उसका एक आगंन भी था
कुछ रिश्ते थे मिठे मिठे से
एक पहचान भी था ।

©Tafizul Sambalpuri #GoodMorning  Irfan Saeed Writer Dr. Sakshi Devanshi SANA@ rasmi