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यहीं कही आस पास रहती हो। अपनी यादों में,ओर वक़्त के

यहीं कही आस पास रहती हो।
अपनी यादों में,ओर वक़्त के बहते हर कतरे में।
ओर मैं महसूस करता हूँ तुम्हे,
हवा के हर झोंके के साथ,चांदनी के हर कतरे में।
क्या तुमको नही आती कभी हिचकी कोई मेरे नाम की।
क्या तुम भी चौंक के उठ जाती हो रातो को।
ओर खुली आंखों के सामने दौड़ जाते है,
अपनी तन्हा मुलाकातों के दिन।
ओर फिर वादे आंखों से बह निकलते है।।
तुम्हारा पता नही पर मेरे साथ अक्सर ही ऐसा होता है। #Khyaal
यहीं कही आस पास रहती हो।
अपनी यादों में,ओर वक़्त के बहते हर कतरे में।
ओर मैं महसूस करता हूँ तुम्हे,
हवा के हर झोंके के साथ,चांदनी के हर कतरे में।
क्या तुमको नही आती कभी हिचकी कोई मेरे नाम की।
क्या तुम भी चौंक के उठ जाती हो रातो को।
ओर खुली आंखों के सामने दौड़ जाते है,
अपनी तन्हा मुलाकातों के दिन।
ओर फिर वादे आंखों से बह निकलते है।।
तुम्हारा पता नही पर मेरे साथ अक्सर ही ऐसा होता है। #Khyaal