भीड़ भगदड़ और सियासत, कर रहे हो क्यों शिकायत, ज़िन्दगी महफूज़ सबकी, ख़ुदा तुम रखना इनायत, आस्था अपनी जगह है, भीड़ से बचना हिदायत, ज़ल्दबाज़ी मत करो तुम, पास आ जाती क़यामत, गिद्ध दृष्टि ताकतीं जब, मन में लेकर इक अदावत, समझ पाते नहीं ज़ाहिल, मूर्ख भी करते बगावत, सीख लो तुम प्यार 'गुंजन', भावना मत करो आहत, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #भावना मत करो आहत#