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सुलगा रही हैं हवाएं दिल ए बेकरार को मुश्किल से सं

सुलगा रही हैं हवाएं दिल ए बेकरार को 
मुश्किल से संभाला है दिल ए बेकरार को

हो रहा है गुनाह तेरे सामने या रब..
कैसे समझाऊं मैं इस दिल ए गुनहगार को..

।।रवि।।

©Ravi Sharma
  #Art सुलगा रही हैं हवाएं दिल ए बेकरार को 
मुश्किल से संभाला है दिल ए बेकरार को

हो रहा है गुनाह तेरे सामने या रब..
कैसे समझाऊं मैं इस दिल ए गुनहगार को..
ravisharma5699

Ravi Sharma

Silver Star
Growing Creator

#Art सुलगा रही हैं हवाएं दिल ए बेकरार को मुश्किल से संभाला है दिल ए बेकरार को हो रहा है गुनाह तेरे सामने या रब.. कैसे समझाऊं मैं इस दिल ए गुनहगार को.. #शायरी

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