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तुम चाहती हो कि नए शब्द लेकर आऊँ तुम्हारी सुंदरता

तुम चाहती हो कि नए शब्द लेकर आऊँ तुम्हारी सुंदरता पर चार चाँद लगाने को,
पर प्रिये ये कौन समझाए तुम्हें हमारे दिल के श्रृंगार रस के शब्दकोषों पर पहला हक तुम्हारा है।
मैं कोशिश करता रहा रति, उर्वशी, मेनका या विश्व सुंदरियों की महारानी लिख तेरी सुंदरता सीमित करने को,
जब ध्यान से देखा तेरे सादगी युक्त सौंदर्य को तब मुझे आभास हुआ की सुंदरता के समस्त अलंकारों पर पहला अधिकार तुम्हारा है।
सुनो हे मृगनयनी! जो तुम सूट, साड़ी और पश्चिमी पहनावा पहनो या फिर खोल लो बंधे हुए केश अपने ये मौसम बहकाने को,
कौन तुम्हे समझाए कि अपने नखरे और अदाओं से मौसमों को महकाने और बहकाने का पहला अधिकार तुम्हारा है।
कैसे कह दे कि तेरी सादगी कुछ करती नहीं जादू कोई गंधर्व लोक की सुंदरियाँ को अपने वश में करने को,
यह मुसाफ़िर सा शायर जानता है कि दुनिया के सारे जादू-टोने और सम्मोहित करने वाली विद्याओं पर पहला अधिकार तुम्हारा है।

©Musafir ke ehsaas
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