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मैं एहसास लिखती हूँ, वो अल्फ़ाज़ पढ़ते हैं। मैं नींद

मैं एहसास लिखती हूँ,
वो अल्फ़ाज़ पढ़ते हैं।
मैं नींद कहती हूँ,
वो ख़्वाब सुनते हैं।
मैं ग़म समेटती हूँ,
वो खुशियाँ बिखेरते हैं।
मैं आज में जीती हूँ,
वो कल में रहते हैं।
उन्हें नया सवेरा भाता है,
हमें अँधेरे में रहना आता है।
फ़र्क है उनमें- मुझमें,
ज़मी और आसमाँ जैसे।
मैं उनकी संकोची मोहब्बत हूँ,
वो मेरी आखरी चाहत हैं।। #opposite_attracts
मैं एहसास लिखती हूँ,
वो अल्फ़ाज़ पढ़ते हैं।
मैं नींद कहती हूँ,
वो ख़्वाब सुनते हैं।
मैं ग़म समेटती हूँ,
वो खुशियाँ बिखेरते हैं।
मैं आज में जीती हूँ,
वो कल में रहते हैं।
उन्हें नया सवेरा भाता है,
हमें अँधेरे में रहना आता है।
फ़र्क है उनमें- मुझमें,
ज़मी और आसमाँ जैसे।
मैं उनकी संकोची मोहब्बत हूँ,
वो मेरी आखरी चाहत हैं।। #opposite_attracts