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तेरे मेरे बीच इस दौरान दूरियां बड़ गई की मुझे अब

तेरे मेरे बीच इस दौरान  दूरियां बड़ गई की मुझे अब न जाने क्यों मुझे ऐसा क्यों लगता है कि अब हम कभी नही मिल पाएंगे ना जाने क्या होगया हैं हम दोनो के बीच दिल मारता हैं तुम पर क्या करू मजबूर हू इन बेकरार रियो से ये दिल 
​तुझ पर मारता तू  ना जाने क्यों नही समझ पा रहि हैं मेरी मजबूरियों को इज कदर में बेकरार हू तुझ पर मर मिटने को 
​हर चीजों कि कुर्बानी  दे सकता हु  बस एक बार इस दिल को समझो इन सारी उलझलनो से दूर होकर हमेशा हमेशा के लिए तुम्हारा हो जाऊंगा क्यू तुम इस दिल को सरमिंदा कर रहि हो क्या तुझे वो सामे नही याद हैं जो हमने साथ साथ गुजारी हैं एक साथ साथ बैठना सर पे सर रख कर तेरा सोना क्या वो सारी बाते भूल गई हो क्या एक दूसरे के कंधे पर सर रखकर रोना वो बीती बाते याद करके रोना गुजरी हुई राते संघ बिताई गई बाते (मेने तो तुम्हारे हर एक लम्हों को जब जब याद करता हू ना जाने क्यों इन आंखों में आंसु भर जाते हैं यादों बस तेरी यादों के लिय एक तेरा नंबर 
​ (दूसरा  तेरी तस्वीर इस तरह समाहल कर रखा हू जैसे जैसे जल के बगैर मछली नही रह पाती हैं बस उसी तरह तेरी यादों के सहारे में जी रहा हू
—रविंद्र गुप्ता

©Ravindra Gupta
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