उसकी नसिली आंखें कुछ इस कदर पसंद थी मुझे जैसे सारी दुनिया के समंदर को छोड़ कर उस एक बूंद से प्यार था मुझे उसकी बिना रुकावट बोलने की आदत से कुछ इस कदर प्यार था मुझे की उसको सुनते सुनते खुद को क्या बोलना है वो भुलजाना बहोत पसंद था मुझे उसके वो गुस्से से कुछ इस कदर प्यार था मुझे की कुछ भी ना सोच जैसे जानबूझकर गलतियां करना बहोत पसंद था मुझे उसकी वो मीठी सी हसी कुछ इस कदर पसंद थी कि cadburry को छोड़ कर मुझे उसकी एक रूपए वाली kissmi से प्यार था मुझे उसकी नाराजगी से कुछ इस कदर प्यार था मुझे की मेरी गलतियों पर उसे गुनेगार बना कर उसे प्यार से sorry बुलवाकर उसे गले लगाना बहोत पसंद था मुझे लेकिन अब उसकी खुशी कुछ इस कदर पसंद है मुझे की मेरे साथ ना सही तू किसी और पास तो खुश है मेरी खुशियां मुझे बहोत पसंद है आखिर में तू भी तो मेरी ही पसंद है..।। #pasand hai