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रहने को घर नहीं , कमाने को शहर नहीं मर भी जाऊं तो

रहने को घर नहीं , कमाने को शहर नहीं 
मर भी जाऊं तो कैसे पीने को ज़हर नहीं

मेरे वजूद पे चर्चा सरेआम कर दिया है किसी ने
सबको पता है मेरे अलावा, मुझे कोई ख़बर नहीं

इतना कर्ज़ सीने पे लिए घुम रहा हूं की 
ज़िंदगी से परेशान हूं, मौत से भी सबर नहीं

चंद भर ही सही काफ़िला चल तो रहा है मेरे पीछे
देख रहा है जिंदगी तू, मै मरते हुए भी असगर नहीं

©Pkroy
  kuchh bhi nahi
#Nojoto #Poetry #gazal #Shayari #Quote  ✍️Rehan smz Anshu writer  POOJA UDESHI BHARAT BHUSHAN ROY Lovely Spreet Sushmita